Gulzar Status, Shayari & Quotes - गुलज़ार साहब बहुत अच्छी शायरी लिखते है। उनकी शायरी को सुनना हर कोई पसंद करता है। लोग उनकी शायरी को सोशल मीडिया पर भी शेयर करते है। लोग उनकी शायरी को इंटरनेट पर भी सर्च करते है। इस लिए आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए गुलज़ार साहब की शायरी लेकर आये है। आप इन शायरी को सोशल मीडिया कर सकते है। उम्मीद है कि यह पोस्ट पसंद आएगी।
500+ गुलजार शायरी - Gulzar Status, Shayari & Quotes in Hindi
किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,
इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं।
सेहमा सेहमा डरा सा रहता है
जाने क्यों जी भरा सा रहता है।
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं,
तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन, ज़िन्दगी तो नहीं।
थोड़ा सा रफू करके देखिये न
फिर से नै सी लगेगी, ज़िन्दगी ही तो है.
इतना क्यों सिखाये जा रही है ज़िन्दगी,
हमने कौनसी यहाँ साड़ियां गुज़ारनी हैं।
आइना देख के तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई।
बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायतें जो बयां नहीं होती।
कोई तो चौक के देखे कभी हमारी तरफ ,
किसी की आँख में हमको भी इंतज़ार दिखे।
गुलज़ार कोट्स शायरी इन हिंदी
गुलज़ार कोट्स शायरी इन हिंदी
चख कर देखि है कभी तन्हाई तुमने ?
मैंने देखि है बड़ी ईमानदार सी लगती है।
मैं दिया हूँ, मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से थी।
ये हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं
शायर बनना बहुत आसान हैं ,
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए
हम कैसे करें ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब बदलते हैं हम, तो तुम शर्ते बदल देते हो !
कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं।
जिनमें जान थी
उन सब का देहांत हुआ
जो चीजें बेजान थी
अब तक जिंदा है
परेशां है इस बात पर वह
कि उन्हें कोई समझ नहीं पाया
जरा सोच कर देखो
तुमने कितनों को समझ लिया
शायर बनना बहुत आसान है
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए
कौन कहता है कि हम झूठ नहीं बोलते
एक बार खैरियत तो पूछ कर देखिए
दौलत नहीं, शोहरत नहीं, न वाह-वाह चाहिए
“कैसे हो?”
बस दो लफ्जों की परवाह चाहिए
दिल के रिश्ते कभी नहीं टूटते
बस खामोश हो जाते हैं
मुश्किल है आकाश में चलना
तारे पैरों में चुभते हैं
कुछ भी कायम नहीं है, कुछ भी नहीं
और जो कायम है
बस एक मैं हूं
मैं जो पल-पल बदलता रहता हूं
कब आ रहे हो मुलाकात के लिए
मैंने चांद रोका है एक रात के लिए
एतिहातन बुझा सा रहता हूं
जलता रहता तो खाक हो जाता
दवा गर काम ना आए तो नजर भी उतारती है
यह मां है साहब हार कहां मानती है
दिल से फैसला करो तुम्हें क्या करना है
दिमाग तरकीब निकाल लेगा
अभी शाम नहीं होती
बस दिन ढलता है
शायद वक्त सिमट रहा है
थोड़ा सुकून भी ढूंढिए जनाब
यह जरूरतें तो कभी खत्म नहीं होती
जीने के लिए सोचा ही नहीं
दर्द संभालने होंगे
रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो,
दिन की चादर अभी उतारी है।
ये कैसा रिश्ता हुआ इश्क में वफ़ा का भला,
तमाम उम्र में दो चार छ: गिले भी नहीं।
हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते।
थोडा सा हस के थोडा सा रुला के,
पल यही जानेवाले हैं।
तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।
ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ,
बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं।
छोटा सा साया था, आँखों में आया था,
हमने दो बूंदों से मन भर लिया।
एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा।
घर में अपनों से उतना ही रूठो,
कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,
दोनों बरक़रार रह सके।
आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हम ने ए'तिबार किया।
एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद,
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं।
सुनो!
जब कभी देख लुं तुमको।
तो मुझे महसूस होता है कि.
दुनिया खूबसूरत है।
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है।
अपने साए से चौंक जाते हैं,
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा।
तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,
दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे।
ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,
उसको पढते रहे और जलाते रहे।
ग़म मौत का नहीं है,
ग़म ये के आखिरी वक़्त भी,
तू मेरे घर नहीं है।
मेरे दर्द को भी आह का हक़ हैं,
जैसे तेरे हुस्न को निगाह का हक़ है।
मुझे भी एक दिल दिया है भगवान ने,
मुझ नादान को भी एक गुनाह का हक़ हैं।।
पलक से पानी गिरा है, तो उसको गिरने दो,
कोई पुरानी तमन्ना, पिंघल रही होगी।
आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हम ने ऐतबार किया।
तेरी राहो में बारहा रुक कर,
हम ने अपना ही इंतज़ार किया।।
अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब,
ये गुनाह हम ने एक बार किया।।।
मैंने मौत को देखा तो नहीं,
पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी।
कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं,
जीना ही छोड़ देता हैं।।
टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ,
में फिर से निखर जाना चाहता हूँ।
मानता हूँ मुश्किल हैं,
लेकिन में गुलज़ार होना चाहता हूँ।।
सामने आए मेरे, देखा मुझे, बात भी की,
मुस्कुराए भी, पुरानी किसी पहचान की ख़ातिर,
कल का अख़बार था, बस देख लिया, रख भी दिया।।
कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती,
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे।
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया?
कुछ जख्मो की उम्र नहीं होती हैं,
ताउम्र साथ चलते हैं, जिस्मो के ख़ाक होने तक।
बेहिसाब हसरते ना पालिये,
जो मिला हैं उसे सम्भालिये।
शोर की तो उम्र होती हैं,
ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं।
कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें।
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।
कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं, तुम शर्ते बदल देते हो।
सीने में धड़कता जो हिस्सा हैं,
उसी का तो ये सारा किस्सा हैं।
वक़्त पे पांव कब रखा हमने,
ज़िंदगी मुंह के बल गिरी कैसे।।
आंख तो भर आयी थी पानी से,
तेरी तस्वीर जल गयी कैसे।।।
दर्द हल्का है साँस भारी है,
जिए जाने की रस्म जारी है।
उधड़ी सी किसी फ़िल्म का एक सीन थी बारिश,
इस बार मिली मुझसे तो ग़मगीन थी बारिश।
कुछ लोगों ने रंग लूट लिए शहर में इस के,
जंगल से जो निकली थी वो रंगीन थी बारिश।।
देर से गूँजतें हैं सन्नाटे,
जैसे हम को पुकारता है कोई।
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।।
बीच आसमाँ में था बात करते- करते ही,
चांद इस तरह बुझा जैसे फूंक से दिया,
देखो तुम इतनी लम्बी सांस मत लिया करो।।
लकीरें हैं तो रहने दो,
किसी ने रूठ कर गुस्से में शायद खींच दी थी,
उन्ही को अब बनाओ पाला, और आओ कबड्डी खेलते हैं।।
किसी ने मुझसे पुछा चाय या मोहब्बत,
हम ने मस्कुराके के कहा, मोहब्बत के हाथों से चाय।
कोई पूछ रहा है मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुरादेना ।
तुमसे मिला था प्यार ,कुछ अच्छे नसीब थे ,
हम उन दिनों अमीर थे , जब तुम करीब थे।
वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख के कहीं।
ज़ायका अलग सा है मेरे लफ़्ज़ों का,
के कोई समझ नहीं पाता, कोई भूला नहीं पाता।
झूठे तेरे वादों पे बरस बिताये, ज़िन्दगी तो काटी, ये रात कट जाए।
ज़िन्दगी सस्ती है साहब, जीने के तरीके महंगे हैं।
बिगड़ैल हैं ये यादे,
देर रात को टहलने निकलती हैं।
सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।
उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और,
ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।
हम तो अब याद भी नहीं करते,
आप को हिचकी लग गई कैसे?
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई।
रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।
दिल अगर हैं तो दर्द भी होंगा,
इसका शायद कोई हल नहीं हैं।
कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।
वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख के कहीं।
शायर बनना बहुत आसान हैं,
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।
चांदी उगने लगी है बालों में
उम्र तुम पर हसीन लगती है
रिश्ते बस रिश्ते होते हैं
कुछ एक पल के
कुछ दो पल के
कुछ रिश्तो में मुनाफा नहीं होता
पर जिंदगी को अमीर बना देते हैं
चंदन के बदन में खुशबू है
लेकिन चंदन पर फूल नहीं आते
जिंदगी सस्ती है साहब
जीने के तरीके महंगे हैं
जाने कब गुम हुआ कहां खोया
एक आंसू छुपा के रखा था
मिट्टी है यह मिट्टी
मिट्टी को मिट्टी में दफनाते हुए
रोते हो क्यों?
जायका अलग है मेरे लफ्जों का
कोई समझ नहीं पाता
कोई भुला नहीं पाता
सिर्फ एहसास है यह रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो
बहुत अंदर तक जला देती हैं
वह शिकायतें जो बयां नहीं होती
बिना मोबाइल खाली हाथ नजर आ जाए कोई
तो खामखा ही हाथ मिलाने को जी करता है
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।
आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है।
फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी रिहाई दी है।
कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं।
अच्छी किताबें और अच्छे लोग, तुरंत समझ में नहीं आते,
उन्हें पढना पड़ता हैं।
बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती।
मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो?
नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं,
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।
मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को,
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है।
सहमा सहमा डरा सा रहता है,
जाने क्यूं जी भरा सा रहता है।
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।
मैं दिया हूं
मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अंधेरे से है
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ है
जब तक रास्ते समझ में आते हैं
तब तक लौटने का वक़्त हो जाता है
यही जिंदगी है
नाराज हमेशा खुशियां ही होती हैं
गमों के इतने नखरे नहीं रहे
तुझ को बेहतर बनाने की कोशिश में
तुझे ही वक्त नहीं दे पा रहे हम
माफ करना ए जिंदगी
तुझे ही नहीं जी पा रहे हम
जिंदगी के किसी मोड़ पर
अगर कुछ फैसला करना हो
तो हमेशा अपने दिल की सुनो
बेशक वह होता लेफ्ट में है
मगर उसके फैसले हमेशा राइट होते हैं
मेरी तो हर सांस में एक सांस तेरी हैं,
इस दिल का कहा मनो एक काम कर दो,
एक बे-नाम सी मोहब्बत मेरे नाम करदो।
मेरी ज़ात पर फ़क़त इतना अहसान कर दो,
किसी दिन सुबह को मिलो, और शाम कर दो।।
एक सो सोलह चाँद की रातें ,
एक तुम्हारे कंधे का तिल।
गीली मेहँदी की खुश्बू झूठ मूठ के वादे,
सब याद करादो, सब भिजवा दो,
मेरा वो सामान लौटा दो।।
ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं,
ना पास रहने से जुड़ जाते हैं।
यह तो एहसास के पक्के धागे हैं,
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं।
कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है,
क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है।
गुलज़ार साहब की कुछ प्यारी पंक्तियाँ
चखकर देखी है कभी तन्हाई तुमने
मैंने देखी है बड़ी ईमानदार लगती है
पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ छूकर
उसी हथेली पर घर बना लो
इच्छाएं बड़ी बेवफा होती हैं
कमबख्त पूरी होते ही बदल जाती हैं
हिचकियों में वफ़ा ढूंढ रहा था कमबख्त
गुम हो गई दो घूँट पानी से
क्या पता कब कहां मारेगी
बस कि मैं जिंदगी से डरता हूं
मौत का क्या है एक बार मारेगी
शोर की तो उम्र होती है
खामोशी सदाबहार है
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
जबसे डिग्रियां समझ में आईं पांव जलने लगे
जिंदगी छोटी नहीं होती है
लोग जीना ही देरी से शुरू करते हैं
पीतल की बालियों में बेटी ब्याह दी
बाप मजदूर था सोने की खान में
खामोशी ही भली अब
हर बात पर जंग हो यह जरूरी तो नहीं
तजुर्बा बता रहा हूं दोस्त
दर्द, गम, डर जो भी हैं
बस तेरे अंदर हैं
खुद के बनाए पिंजरे से निकलकर देख
तू भी एक सिकंदर है
एक परवाह ही बताती है कि ख्याल कितना है
वरना कोई तराजू नहीं होता रिश्तो में
एक कहानी कहते-कहते एक कहानी और मिली
दिल की डगर से जाते जाते एक निशानी और मिली
हसरत पूरी ना हो तो ना सही
ख्वाइश करना कोई गुनाह तो नहीं
इतना सस्ता और कहां सौदा मिलेगा
बीज दो जमीन को पौधा मिलेगा
थम के रह जाती है जिंदगी
जब जमके बरसती हैं पुरानी यादें
मुझे ऐसे मरना है जैसे लिखते लिखते
स्याही खत्म हो जाए
तेरे शहर तक पहुंच तो जाता
रास्ते में दरिया पड़ते हैं
पुल सब तूने जला दिए थे
जब कभी खुद की हरकतों पर शर्म आती है
तब धीरे से भगवान को चायपानी चढ़ा देता हूं
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,
बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।
आइना देख कर तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई।
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।
जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ,
उस ने सदियों की जुदाई दी है।
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है,
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है।
मेरे दिल में एक धड़कन तेरी हैं,
उस धड़कन की कसम तू ज़िन्दगी मेरी है।
ऐ हवा उनको कर दे खबर मेरी मौत की,
और कहना कि।
कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाश,
उनके आँचल का इंतज़ार करती है।
किसने रास्ते मे चांद रखा था,
मुझको ठोकर लगी कैसे।
दिल में कुछ जलता है शायद, धुआँ धुआँ सा लगता है।
आँख में कुछ चुभता है शायद, सपना सा कोई सुलगता है।
तक़लीत खुदी काम हो गयी, जब अपनों से उम्मीद काम हो गयी।
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर.
इसकी आदत भी आदमी सी है।
कौन कहता है हम झूठ नहीं बोलते ,
एक बार खैरियत पूछ के तो देखिये।
थोड़ा सुकून भी ढूंढिए जनाब, यह ज़रूरतें कभी ख़त्म न होंगी।
बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें जो बयां नहीं होती ।
बहुत मुश्किल से करता हूं तेरी यादों का कारोबार मुनाफा कम है पर गुजारा हो ही जाता है
हर दिन नये नये स्टेटस और शायरी पाने के लिए अभी Bookmark करें StatusCrush.in को।
0 टिप्पणियाँ