[Latest] 200+ Nafrat Shayari in Hindi 2024

हेलो दोस्तों, अगर आपसे कोई नफरत करता है, या आपसे किसी कारण से नफरत करने लगा है तो आज हम आपकी परेशानी को दूर करने के लिए नफरत शायरी की बहुत साड़ी कलेक्शन लेकर आए है। आप इन शायरी को सोशल मीडिया के जरिये शेयर कर सकते है। उम्मीद है के आपको यह पोस्ट पसंद आएगी।

Nafrat Shayari

[Latest] 200+ Nafrat Shayari in Hindi - नफरत शायरी हिंदी में (2024)

किसी के लिए तो नफरत से भर दे

भर गया उसका दिल मोहब्बत से


कोई गुस्सा हो तुम्हारी भलाई के लिए

समझ लेना उसके दिल में प्यार बहुत हैं तुम्हारे लिए


इश्क़ या खुदा को दिल मे बसा लो

दिल से नफरत हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी


नफरत अक्सर वहीं करते हैं

जो कुछ ज्यादा ही फुरसत में होते हैं


दिल में अगर पली बेजान कोई हसरत ना होती

हम इंसानों को इंसानों से यू नफरत ना होती


जिसकी अंहकार पुरखो कि कमाई पर पले हैं

आज वो हमसे नफरत कि लड़ाई जितने चले हैं


नाही तुम कभी आ सके और

नाही हम कभी जा सके

नाही तुम कभी याद कर सके और

नाही हम तुम्हे कभी भुला सके


कभी बैठेंगे फुरसत में खुदा के सामने और पूछेंगे

वो कौन सी मोहब्बत थी

जो हम अपने यार को दे ना सके


ये तेरी हल्की सी नफ़रत और थोड़ा सा इश्क़

यह तो बता ये मज़ा-ए-इश्क़ है या सजा़-ए-इश्क़


ना मेरा प्यार कम हुआ, ना उनकी नफरत

अपना-अपना फर्ज था, दोनों अदा कर गये


अगर तुम थे सनम बेवफा तो आंखे मिलाई ही क्यूं थी

छोड़ के जाना ही था तो अपनी आदत लगाई ही क्यूं थी


कोई तो हाल-ए-दिल अपना भी समझेगा

हर शख्स को नफरत हो जरूरी तो नहीं


हम वो ना थे

जो टाइम पास के लिए तुम्हे याद करते थे

हम तो अपने बीजी टाइम से भी

वक़्त उधार लेकर तुम्हे याद करते थे


दिल अगर सूरत ही देख के लगाना था तो

पहले बता देते, क्यूट तो कुत्ते भी बहोत होते हैं


लेकर के मेरा नाम वो मुझे कोसता है

नफरत ही सही पर वो मुझे सोचता तो है


काश तुम रहते मेरे साथ

जब तक हम दोनों की जिंदगी थी

मेरे हालात क्या बदले

तुम्हे भी वक़्त ना लगा बदलने में


जो मुझसे नफरत करते हैं शौक से करें। हर शख्स को मैं अपनी मोहब्बत के काबिल नहीं समझती।


तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िन्दगी हमने। सोचो अगर तुम मुहब्बत करते तो हम क्या करते।


अब हम तो नए नफरत करने वाले तलाशा करते हैं। क्योंकि पुराने वाले तो अब हमसे मोहब्बत किया करते हैं।


नफरत हो गयी मुझे। एक मोहब्बत लफ्ज से।


नफरत करना तो सीखा ही नहीं साहब। हमने दर्द को भी चाहा है, अपना समझकार।


ज़्यादा कुछ नहीं बदला उसके और मेरे बीच में। पहले नफरत नहीं थी और अब प्यार नहीं है।


इश्क़ करे या नफरत  इजाज़त है उन्हें। हमे इश्क़  से अपने कोई शिकायत नहीं।


कुछ दगाबाज़ी हम भी तेरे ऐतबार से करेंगे। तुझसे नफ़रत भी जालिम ज़रा प्यार से_करेंगे।


मुझसे नफरत करनी है तो इरादे मजबूत रखना। जरा से भी चूके तो महोब्बत हो जायेगी।


हक़ से दो तो तुम्हारी नफरत भी कबूल हमें। खैरात में तो हम तुम्हारी मोहब्बत भी न लें।


ज़िन्दगी से नफरत किसे होती हैं

मरने कि चाहत किसे होती हैं

प्यार भी एक इतेफा़क होता हैं

वरना आँसूओ से मोहब्बत किसे होती हैं


तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िन्दगी हमने

सोचो अगर तुम मुहब्बत करते तो हम क्या करते


नफरतों के बाजार में प्यार बेचते है

और कीमत में बस दुआ लेते है


जिन्दगी भर तुझ से मिलने की दुआ की

सोचा ना था ऐसा भी दिन आएगा

मुझे ऐसा भी दुआ करनी पड़ेगी

अये खुदा उसे दिल से निकाल दे,


यही तो राज़-ए-उल्फ़त है

जो हर आंसू का रुख़ मोड़ा…

बहुत ख़ुश हैं

तेरे बारे में जबसे सोचना छोड़ा….💔


भुलाना ही था मुझको तो नफरत का सहारा क्यूँ

डूबने देते मुझको यूँ ही दिखाया था किनारा क्यूँ


थी नफरत अक्स से वो आईना तोड़ना सिख गया

वो अपनी गलती पर भी मुँह मोड़ना सिख गया


कोई तो वजह होगी बेवजह को नफरत नहीं करता

हम तो उनकी दिल कि समझते हैं

वो हमे समझने की कोशिश नहीं करता


फूलो के साथ काटें भी मिल जाते हैं

खुशी के साथ गम भी मिल जाते हैं

यह तो मजबूरी हैं हर आशिक़ कि

वरना प्यार में नफरत कोई जान बुझ कर नहीं करता


वो इंकार करते हैं इकरार के लिए

नफरत करते हैं तो प्यारा के लिए

उलटी चाल चलते हैं ये इश्क़ वाले

आँखें बंद करते हैं दीदार के लिए


कर लूं एक बार तेरा दीदार जी भर के, मेरे दोस्त। मेरी मोहब्बत और तेरी नफरत के बीच का फासला खत्म हो जाएगा।


नफरत है मुझे आज जालिम तेरे उस रुखसार से। जिसे देख कर मैं अक्सर दीवाना हुआ करता था।।।


ये मेरे दिल की जिद है की प्यार करुँ तो सिर्फ तुमसे करूँ। वरना तुम्हारी जो फितरत है वो नफरत के भी काबिल नहीं।


मोहब्बत करने से फुरसत नहीं मिली यारो। वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते है।


वो इनकार करते हैं इक़रार के लिए, नफऱत भी करते हैं तो प्यार करने के लिए। उल्टी चाल चलते हैं ये इश्क़ करने वाले, आंखे बंद करते हैं दीदार के लिए।


अजीब सी आदत और गज़ब की फितरत है मेरी। मोहब्बत हो या नफरत बहुत शिद्दत से करता हूँ।


मुझे नफरत है इस मोहब्बत के नाम से, क्यूँ बिना कसूर तडपा तडपाकर मारा है मुझे।


नफरत है इस रविवार से मुझे, ये दिलाती है और भी तेरी याद खाली वक्त में।


मुझे नफ़रत हैं उन लोगो से, जिन्हें अपनी दौलत पर घमंड हैं।

Best Nafrat Shayari For FB WhatsApp

मिलना बिछड़ना सब किस्मत का खेल है

कभी नफरत तो कभी दिलो का मेल है

बिक जाता हैं हर रिश्ता दुनियां में

सिर्फ दोस्ती का यहा नाँट पर सेल हैं


मोहब्बत करो तो हद से ज्यादा

और नफरत करो तो उससे भी ज्यादा


ज़िन्दगी भी तवायफ की तरह होती है

कभी मजबूरी में नाचती है कभी मशहूरी में


छोड़ ये बात कि मिले ज़ख़्म कहाँ से मुझको

ज़िन्दगी इतना बता कितना सफर बाकी है


मोहब्बत करो तो हद से ज्यादा

और नफरत करो तो उससे भी ज्यादा


कुछ लोग हमारी नफरत के काबिल भी ना होते

और हम उन पर अपनी मोहब्बत जाया कर देते हैं


ज़िन्दगी जिसका बड़ा नाम सुना है हमने

एक कमजोर सी हिचकी के सिवा कुछ भी नहीं


तरक्की के दौर में नफरत लिये फिरते हैं

जब अंहकार टुटता तो दर दर भटकते है


तेरी नफरत में वो तो दम कहाँ

जो मेरी चाहत को कम करे


मेरे दिल ने उस पर यकीन किया था,

नफरत क्यों करूँ अगर उसे दिल तोड़ दिया


बैठ कर सोचते है अब कि क्या खोया क्या पाया,

उनकी नफरत ने तोड़े बहुत… मेरी वफ़ा के घर.


गुजरे हैं, तेरे इश्क में कुछ इस मुकाम से,

नफरत सी हो गई है मोहब्बत के नाम से


तुझसे खफा भी रहते थे और वफा भी करते थे

पहले तुझे खोना नहीं चाहते थे अब तुझे पाना नहीं चाहते हैं


मुझे पूरा समझने की चाह में

लोग बीच में नफरत करने लगते हैं


नफ़रत हो जायेगी तुझे अपने ही किरदार से

अगर मैं तेरे ही अंदाज में तुझसे बात करुं


जब हम मुस्कुराते थे तो

उदासियाँ भी कहती थी माशा अल्लाह

तेरे प्यार में खुद को इतना बदल दिया

अब दुनिया कहती है तोबा अल्लाह


हमने तो लोगों को सच्चा प्यार भी भूलते देखा है

मुझसे तेरा झुटा प्यार भी नहीं भुलाया जाता


दर्द बांटते बांटते ना जाने कब दर्द देने लगे

इश्क था हमें ना जाने कब नफरत देने लगे


चाह कर भी मुंह फेर नहीं पा रहे हो

नफरत करते हो या इश्क़ निभा रहे हो


जरूरत है मुझे नये नफरत करने वालों की

पुराने तो अब मुझे चाहने लगे है


हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो

नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे


नफरतें इश्क़ भी बड़ी की होती है उनसे

उनसे नफरत दिखता है और

दिल ही दिल में प्यार करता है उनसे


लेकर के मेरा नाम वो मुझे कोसता है

नफरत ही सही पर वो मुझे सोचता तो है


खुदा सलामत रखना उन्हें

जो हमसे नफरत करते हैं

प्यार न सही नफरत ही सही

कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं


बैठ कर सोचते हैं अब

कि क्या खोया क्या पाया

उनकी नफरत ने तोड़े बहुत

मेरी वफ़ा के घर

नफरत शायरी फॉर Girlfriend 

देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना। नफरत बता रही है तूने गज़ब की मोहब्बत थी।


तूने ज़िन्दगी को मेरी इस क़दर कुछ यूँ मोड़ा हैं। कि अब मोहब्बत भी नफरत भी, दोनों थोड़ा थोड़ा हैं।


मत रख इतनी नफ़रतें अपने दिल में ए इंसान। जिस दिल में नफरत होती है उस दिल में रब नहीं बसता।


उनकी नफरत बता रही है। हमारी मोहब्बत गज़ब की थी।


गुज़रे है आज इश्क के उस मुकाम से। नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से।


सुनो न.बेहद गुस्सा करते हो आजकल। नफरत करने लगे हो या ईश्क ज्यादा हो गया।


नफ़रत करना है तो इस क़दर करना। के हम दुनिया से चले जाए पर तेरी आँख में आंशु ना आए।


एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़। मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है।


दुनिया को नफरत का यकीन नहीं दिलाना पङता। मगर लोग मोहब्बत का सबूत ज़रूर मॉगते हैं।


मेरे पास वक्त नही है, नफ़रत करने का उन लोगो से, जो मुझसे नफऱत किया करते है। क्योंकि मैं व्यस्त हूँ उन लोगो मे जो मुझसे प्यार किया करते है।


पहले इश्क़, फिर दर्द, फिर बेहद नफरत। बड़ी तरकीब से तबाह किया तुमने मुझको।


हमारी अदा पे तो नफरत करने वाले भी फ़िदा हैं। तो फिर सोच प्यार करने वालो का किया हाल होता होगा।


नफरत चांद की सितारों से हो तो

वो अपनी चांदनी रोशनी कम कर देता है

हम चांद तो नहीं पर

अपनी सांसे हम भी कम कर सकते हैं


हक़ देंगे पूरा उसे निभाने का

कबूल करते हैं नफरत तेरी

खैरात में जो मिले हमें

कबूल तो उसकी मोहब्बत भी नहीं करते हम


वो नफरतें पाले रहे हम प्यार निभाते रहे

लो ये जिंदगी भी कट गयी खाली हाथ सी


तेरी नफरत को मैने प्यार समझ कर अपनाया हैं

प्यार से ही नफरत खत्म होता हैं

तूने ही तो समझाया हैं


मोहब्बत सच्ची हो तो कभी नफरत नहीं होती हैं

अगर नफरत होती हैं तो मोहब्बत सच्ची नहीं होती हैं


नफरत हो दिल में तो मिलने का मजा नहीं आता है

वो आज भी मिलता हैं पर दिल कही और छोड़ आता हैं


दिल पर ना मेरे यू वार कीजिए

छोड़ो ये नफरत थोड़ा प्यार कीजिए

तड़पते हैं जिस कदर तेरे प्यार में हम

कभी खुद को भी उस कदर बेक़रार कीजिए


अदावत तो है अपनी नफरतों के रहनुमाओं से।  जो दिल में दे जगह उससे भला न क्यूँ सुलह कर लें।


मैं काबिले नफरत हूँ, तो छोड़ दे मुझको। तू मुझसे यूँ दिखावे की मोहब्बत न किया कर।


नफरत मत करना मुझसे, बुरा लगेगा। बस एक बार प्यार से कह देना, अब तेरी जरूरत नहीं।


ना मेरा प्यार कम हुआ, ना उनकी नफरत। अपना अपना फर्ज था, दोनों अदा कर गये।


ये तेरी हल्की सी नफ़रत और थोड़ा सा इश्क़। यह तो बता ये मज़ा-ए-इश्क़ है या सजा़-ए-इश्क़।


मोहब्बत में मेरे जज़्बात से तो खूब खेली तू। मेरे इश्क़ को नफरत के तराजू में तौलकर बेच डाली।


प्यार में बेवाफाई मिले तो गम न करना, अपनी आँखे किसी के लिए नम न करना। वो चाहे लाख नफरते करें तुमसे, पर तुम अपना प्यार कभी उसके लिए कम न करना।


मेरे दिल ने उस पर यकीन किया था

नफरत क्यों करुँ अगर उसने दिल तोड़ दिया


मैं फना हो गया अफसोस वो बदला भी नहीं

मेरी चाहतें से भी सच्ची रही नफरत उसकी

नफ़रत शायरी

नफरत हो तो यकीन नहीं दिलाना पड़ता हैं

मोहब्बत में ही सबूत कि जरुरत पड़ती हैं


नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत के

तुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के


नफरत सी होने लगी है इस सफ़र से अब

ज़िन्दगी कहीं तो पहुँचा दे खत्म होने से पहले


नफरत को मुहब्बत की आँखो में देखा

बेरुखी को उनकी अदाओ में देखा

आँखें नम हुए और मै रो पड़ा

जब अपने को गैरों कि बाहो में देखा


इश्क़ में वफ़ा का गुरूर जब टूटता है

तब सबसे ज्यादा नफरत खुद से ही होती है


पाले रहें वो नफरते हम इश्क़ निभाते रहे

जिंदगी भी ये कट गई खाली ही हाथ


तुम अमीर बनो

मैं तो तुमसे प्यार करके कब का रईस बन चुका


बस तेरे एक जिद ने मुझे क्या से क्या करदिया

दिल की किताब तो बस तेरे लिए थी

तूने इसे सरे आम कर दिया


इश्क़ करे या नफरत इजाज़त है उन्हें

हमे इश्क़ से अपने कोई शिकायत नहीं


यकीन नहीं दिलाना पड़ता दुनिया को नफरत का

पर सबूत देना पड़ता है मोहब्बत का


नफरतों के लिए यहाँ वजह ढूंढी जाती है

बिना किसी वजह सिर्फ मोहब्बत होती है


दुनिया को नफरत का यकीन नहीं दिलाना पङता

मगर लोग मोहब्बत का सबूत ज़रूर मागते हैं


दरारे रास नहीं आती

मुझको रिश्ते नातों की पहाड़ी में

ये एक दिन फैल जाती है

झुलसती हुई नफरत की खाई में


अगर रूठा रहूँ तो मनाने आ जाना

वो आखिरी वादा निभाने आ जाना

इस जिंदगी में मेरी न हो सकी फिर भी

मेरी मौत पर ‘मय्यत’ सजाने आ जाना


है खबर अच्छी के आजा मुँह तेरा मीठा करें

नफरतें तेरी हुई है बा-खुशी दिल को कबूल


पहले इश्क़, फिर दर्द, फिर बेहद नफरत

बड़ी तरकीब से तबाह किया तुमने मुझको


नफरत के बाजार में जिने का अलग ही मजा हैं

लोग रुलाना नहीं छोड़ते और हम हँसना नहीं छोड़ते


नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत के

तुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के


छोड़ ये बात कि मिले ज़ख़्म कहाँ से मुझको

ज़िन्दगी इतना बता कितना सफर बाकी है


ज़िन्दगी जिसका बड़ा नाम सुना है हमने

एक कमजोर सी हिचकी के सिवा कुछ भी नहीं


मुझसे नफरत करनी है तो इरादे मजबूत रखना

वरना जरा सा भी चुके तो मोहब्बत हो जाएगी


इश्क़ में वफा का ग़ुरूर जब टूटता हैं

तब सबसे ज्यादा नफरत खुद से ही होती हैं


गुजरे हैं तेरे इश्क़ में कुछ इस मुकाम से

नफरत सी हो गई हैं मोहब्बत के नाम से


इतनी नफरत हैं उसे मेरी मोहब्बत से

उसने अपने हाथ जला लिए

मेरी तकदीर मिटाने के लिए


एक झूठ मैने तुमसे कहाँ मुझे नफरत हैं तुमसे

एक झूठ तुम भी कह दो तुम्हें मोहब्बत हैं मुझसे


झूठी नफरत को जताना छोड़ दे

भिगों के खत मेरा जलाना छोड़ दे


उसकी नफरतो को धार किसने दी

मोहब्बत के हाथों तलवार किसने दी


कुछ लोग तो मुझसे इसलिए भी नफरत करते हैं

क्यूंकि बोहत सारे लोग मुझसे प्यार करते हैं


अगर इंसान खुशी चाहते हैं

तो फिर क्यों दिल में नफरत पालते हैं


यकीन भी रखा सबर भी किया

इंतज़ार के सब हद भी पार किया

नाही तो वक़्त बदला और

नहीं खुशियां नसीब हुई


ऐ दोस्तों नफरतो को पाल कर उससे चिनगारी मत लगाओ

खुदा ने तुमको क्या नहीं दिया कुछ अपना भी दिमाग लगाओ


नफरत से होने लगी है इस सफर से अब

ज़िन्दगी कही तो पहुचा दे खत्म होने से पहले


जो लोग नफरत करते हैं वो लोग अच्छे लगते हैं

क्योंकि अगर सब मुहब्बत करेंगे तो

कहीं नज़र ना लग जाए मुझे


अब हम तो नये नफरत करने वाले तालाश करते हैं

कयोंकि पुराने वाले तो अब हमसे मुहब्बत किया करते हैं


सितम जुदाई का हंस कर सहेंगे

तेरे बिना हम बोहोत खुश रहेंगे।


प्यार करना सिखा है  नफरतो की कोई जगह नही। बस तु ही तु है इस दिल  मे,  दूसरा कोई और नही।


कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था। सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है। जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था।


देख के हमको वो सर झुकाते हैं, बुला कर महफ़िल में नजरें चुराते हैं। नफरत हैं तो कह देते हमसे, गैरों से मिलकर क्यों दिल जलाते हैं।


कुछ लोग तो मुझसे  सिर्फ इसलिए भी नफरत करते हैं। क्योंकि..बहुत सारे लोग मुझसे प्यार करते हैं।


नफरत को हम प्यार देते हैं प्यार पे खुशियां वार देते हैं। बहुत सोच समझ कर हमसे कोई वादा करना ऐ दोस्त। हम पर वादे पर जिंदगी गुजार देते हैं।


नफरत हमने सीखी नही कभी दिल से। हम तो बस मौहब्बत ही रखते है हर किसी से।


प्यार, एहसान, नफरत, दुश्मनी जो चाहो वो मुझसे करलो। आप की कसम वही दुगुना मिलेगा।


तेरी जुदाई में और तो कुछ ना हो सका। बस मोहब्बत से नफरत हो गयी।


नफरत करने की दवा बता दो यारो। वरना मेरी मौत की वजह मेरा प्यार ही होगा।


नफरतें लाख मिलीं पर मोहब्बत न मिली, ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत न मिली। तेरी महफ़िल में हर एक को हँसता देखा, एक मैं था जिसे हँसने की इजाजत न मिली।


सनम तेरी नफरत में वो दम नहीं जो मेरी चाहत को  मिटा दे। ये मोहब्बत है कोई खेल नहीं जो आज हंस के  खेला और कल रो कर  भुला दे।


नाराजगी, डर, नफरत या फिर प्यार। कुछ तो जरुर है जो तुम मुझ से दूर-दूर रहते हो।


मैं अकेला वारिस हूँ तेरी तमाम  नफरतों का, ऐ मेरी जान। और तू सारे शहर में प्यार बाटती फिर रही है।


प्यार करता हु इसलिए फ़िक्र करता हूँ। नफरत करुगा तो जिक्र भी नही करुगा।

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