किसी से कोई उम्मीद न रखो स्टेटस - Kisi se Umeed na Rakho Status in Hindi
अबके गुज़रो उस गली से तो जरा ठहर जाना,
उस पीपल के साये में मेरी उम्मीद अब भी बैठी है।
दिल ना-उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है,
लंबी है गम की शाम मगर शाम ही तो है।
~फैज़
दिल सा दिल से दिल के पास रहे तू,
बस यही उम्मीद है के खास रहे तू।
यूँ ही तो कोई किसी से जुदा नहीं होता,
वफ़ा की उम्मीद ना हो तो कोई बेवफ़ा नहीं होता।
उम्मीद में बैठे हैं मंज़िल की राह में,
तू पुकारे तो हौंसलों को इलहाम मिले।
भाग्य से जितना अधिक उम्मीद करेंगे
वह उतना ही निराश करेगा।
कर्म में विश्वास रखें,
आपको अपनी उम्मीद से सदैव
अधिक मिलेगा।
उम्मीदों का दामन थाम रहे हो
हौसला बनाए रखना
क्योंकि नाकामियाँ जब चरम पर हों
कामयाबी बेहद करीब होती है ।
भाग्य और झूठ के साथ
जितनी ज्यादा उम्मीद करोगे,
वो उतना ही ज्यादा निराश करेगा, और
कर्म और सच पर जितना जोर दोगे,
वो उम्मीद से सदैव ही ज्यादा देगा।
वफ़ा सबसे करो मगर
वफ़ा की उम्मीद किसी से न करो।
अगर समस्या ही ज़िन्दगी है,
तो निदान भी ज़िन्दगी ही है.
हर परिस्थिति में,
बस उम्मीद का दामन थामें रखें ।
उम्मीद कभी हमें, छोड़ कर नहीं जाती
जल्दबाजी में हम ही उसे छोड़ देते हैं।
खुश रहना हो तो
किसी से उम्मीद न रखो और
अपनी ख्वाइशों को थाम लो
ज़िन्दगी आसान हो जायेगी।
उम्मीदें, ख्वाहिशें;
जरूरतें, जिम्मेदारियाँ,
बड़ा हुआ,
तब से मैं अकेला नहीं रहा ।
प्रेम एक मॅंहगा उपहार है
इसकी उम्मीद सस्ते लोगों से
मत रखें ।
इस दुनिया में
जो भी होता है
उम्मीद के कारण ही होता है ।
कब तक लोगों से उम्मीद
लगाये बैठोगे, उम्मीद सिर्फ इंतजार कराती है ।
सच्चाई नहीं बदलती.
Ummeed Shayari in Hindi उम्मीद पर शायरी
युवा आसानी से धोखा खा जाते हैं
क्योंकि
वो उम्मीद करने में तेज होते हैं ।
अभी उसके लौट आने की उम्मीद बाकी है,
किस तरह से मैं अपनी आँखें मूँद लूँ।
कहते हैं कि उम्मीद पे जीता है ज़माना
वो क्या करे जिसे कोई उम्मीद ही नहीं ..
बरखा की स्याह रात में उम्मीद की तरह
निर्भीक जुगनुओं का चमकना भी देखिये.!!
अपने सीने से लगाए हुए उम्मीद की लाश
मुद्दतों जीसत को नाशाद किया है मैंने!
अभी कुछ वक्त बाकी है अभी उम्मीद कायम है
कहीं से लौट आओ तुम मुह्ब्बत सासं लेती है
मुदतों से यही आलम है न तवकको न उम्मीद
दिल पुकारे ही चला जाता है जाना जाने!
उन की उल्फ़त का यकीं हो उन के आने की उम्मीद
हों ये दोनों सूरतें तब है बहार-ए-इंतज़ार
कभी बादल,कभी बारिश,कभी उम्मीद के झरने
तेरे अहसास ने छू कर मुझे क्या-क्या बना डाला
दश्त-ए-इम्कां में कभी शक़्ल-ए-चमन बन ही गयी,
इस उम्मीद-ए-ख़ाम पर हूँ आशियाँ-बर-दोश मैं !!
तुम भुला दो मुझे ये तुम्हारी अपनी हिम्मत है,
पर मुझसे तुम ये उम्मीद जिन्दगी भर मत रखना
उम्मीद वक्त का सबसे बड़ा सहारा है,
गर हौसला है तो हर मौज में किनारा है !!
दिल गवारा नहीं करता शिकस्ते-उम्मीद,
हर तगाफुल पै नवाजिश का गुमाँ होता है !!
उम्मीद का दामन बड़ा पैना है,
सुर्ख़ रंग हो गए हाथ मेरे।
उम्मीद का लिबास तार तार ही सही पर सी लेना चाहिए,
कौन जाने कब किस्मत माँग ले इसको सर छुपाने के लिए
जा लगेगी कश्ती-ए-दिल साहिल-ए-उम्मीद पर,
दीदा-ए-तर से अगर दरिया रवाँ हो जाएगा !! -मिर्ज़ा अंजुम
वो उम्मीद ना कर मुझसे जिसके मैं काबिल नहीं,
खुशियाँ मेरे नसीब में नहीं और यूँ बस दिल रखने के लिए मुस्कुरान भी वाज़िब नहीं
उम्मीद की किरण के सिवा कुछ नहीं यहाँ
इस घर में रौशनी का बस यही इंतज़ाम है.!!
तपती रेत पे दौड़ रहा है दरिया की उम्मीद लिए
सदियों से इन्सान का अपने आपको छलना जारी है
न मंज़िल है न मंज़िल की है कोई दूर तक उम्मीद
ये किस रस्ते पे मुझको मेरा रहबर लेके आया है
और दोस्ती जो चाहो,चले ता-उम्र
तो दोस्तों से कोई भी,उम्मीद ना रखें.!!
मीठा सा होता है सफर ज़िन्दगी का
कड़वाहट तो किसी से
ज्यादा उम्मीद रखने से ही होती है।
सद्भाव जहाँ बसता है, सौभाग्य वहाँ हँसता है।
जिसके पास सेहत है
उसके पास उम्मीद है;
और जिसके पास उम्मीद है
उसके पास सब कुछ है ।
उम्मीद स्टेटस
खुश रहने का एक उपाय
उम्मीद रब से रखो
सब से नहीं ।
एक लीडर
हमेशा एक उम्मीद के
व्यापारी की तरह होता है ।
इच्छाएँ, सपने,
उम्मीदें और नाखून
इन्हें समय-समय पर काटते रहें,
अन्यथा ये दुखःका कारण बनते हैं ।
जिंदगी वही है
जो आज हम जी लें
कल जो जियेंगे
वह उम्मीद होगी ।
इतना ही मालूम है
इस जीवन का सार
बन्द कभी होते नहीं
उम्मीदों के द्वार ।
कुछ कह दो झूट ही कि तवक़्क़ो बंधी रहे
तोड़ो न आसरा दिल-ए-उम्मीद-वार का
नहीं है ना-उम्मीद इक़बाल अपनी किश्त-ए-वीरां से
ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बहुत ज़रखेज़ है साक़ी
उनकी आँखों से रखे क्या कोई उम्मीद-ए-करम
प्यास मिट जाये तो गर्दिश में वो जाम आते हैं
अब्र-ए-आवारा से मुझको है वफ़ा की उम्मीद
बर्क-ए-बेताब से शिकवा है के पाइंदा नहीं
अब के उम्मीद के शोले से भी आँखें न जलीं,
जाने किस मोड़ पे ले आई मोहब्बत हमको
उम्मीद ऐसी तो ना थी महफ़िल के अर्बाब-ए-बसीरत से
गुनाह-ए-शम्मा को भी जुर्म-ए-परवाना बना देंगे
उम्मीद से कम चश्म-ए-खरीदार में आए
हम लोग ज़रा देर से बाजार में आए
नज़र में शोखि़याँ लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद में अभी सारा जमाना है
तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो,
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता !!
~NidaFazli
ख़्वाब-ओ-उम्मीद का हक़, आह का फ़रियाद का हक़,
तुझ पे वार आए हैं ये तेरे दिवाने क्या क्या !!
इतना भी ना-उम्मीद दिल-ए-कम-नज़र न हो
मुमकिन नहीं कि शाम-ए-अलम की सहर न हो
सरमाया-ए-उम्मीद है क्या पास हमारे
इक आह है सीने में सो न-उम्मीद असर से
कहने को लफ्ज दो हैं उम्मीद और हसरत,
लेकिन निहाँ इसी में दुनिया की दास्ताँ है
उम्मीद के बिना
कुछ भी नहीं किया जा सकता है।
उम्मीद
वह आखिरी चीज है जो
व्यक्ति हारने से ठीक पहले करता है ।
उम्मीद
वर्षों से दहलीज़ पर खड़ी वो मुस्कान है,
जो हमारे कानो में धीरे से कहती है,
“सब अच्छा होगा” ।
उम्मीद स्टेटस हिन्दी में, उम्मीद पर सुविचार
आशावादी होना
वह विश्वास है जो हमें उपलब्धि की तरफ ले जाता है.
बिना आशा व उम्मीद के
कुछ भी नहीं किया जा सकता है ।
अपनी उम्मीद की टोकरी
खाली कर दीजिये
परेशानियाँ नाराज होकर चली जाएँगी ।
इंसान, इंसान को धोखा नहीं देता है
बल्कि वो उम्मीदें धोखा दे जाती हैं
जो वो दूसरों से रखता है ।
दीवानगी हो अक़्ल हो उम्मीद हो कि आस
अपना वही है वक़्त पे जो काम आ गया !! -जिगर
उम्मीद ऐसी न थी महफिल के अर्बाब-ए-बसीरत से
गुनाह-ए-शम्मा को भी जुर्म-ए-परवाना बना देंगे
~क़लीम आजिज़
मैं वो ग़म-दोस्त हूँ जब कोई ताज़ा ग़म हुआ पैदा,
न निकला एक भी मेरे सिवा उम्मीद-वारों में !! -हैदर अली आतिश
एक रात आप ने उम्मीद पे क्या रक्खा है
आज तक हम ने चराग़ों को जला रक्खा है
दरवेश इस उम्मीद में था,के कोई आँखें पढ़ लेगा,
भूल बैठा के अब ये ज़बान समझाता कौन है
दिल-ए-वीराँ में अरमानो की बस्ती तो बसाता हूँ,
मुझे उम्मीद है हर आरज़ू ग़म साथ लाएगी !! -जलील मानिकपुरी
मुतमइन हैं वो मुझे दे के उम्मीदों के चिराग़,
तिफ़्ल-ए-मक़तब हूँ, खिलौनों से बहल जाउँगा
उम्मीद तो बाँध जाती तस्कीन तो हो जाती
वादा ना वफ़ा करते वादा तो किया होता
खाक़-ए-उम्मीद में उंगलियाँ फिराते कोई चिंगारी ढूंढता हूँ
फिर कोई “ख्वाब” जलाना है कि रात रोशनी मांगती है
उठता हूँ उसकी बज़्म से जब होके ना उम्मीद
फिर फिर के देखता हूँ कोई अब पुकार ले।
उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद बराए-मेहरबानी दे गया
तेरी उम्मीद तिरा इन्तज़ार कब से है,
ना शब् को दिन से शिकायत ना दिन को शब् से है।
~फैज़
रही ना ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी,
तो किस उम्मीद पे कहिये की आरज़ू क्या है।
~ग़ालिब
उम्मीद-वार-ए-वादा-ए-दीदार मर चले,
आते ही आते यारों क़यामत को क्या हुआ।
~मीर
रही ना ताक़त-ए-गुफ्तार और अगर हो भी,
तो किस उम्मीद पे कहिए के आरज़ू क्या है !! –
मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है
किसी का भी हो सर क़दमों में अच्छा नहीं लगता
चंद किरनें ले आया हूँ तेरे लिए,
है उम्मीद के तेरा दिन रोशन रहेगा।
यहाँ रोटी नही “उम्मीद” सबको जिंदा रखती है
जो सड़कों पर भी सोते हैं ,सिरहाने ख्वाब रखते हैं
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1 टिप्पणियाँ
औरों से ये बात छुपाये रखो।
अगर मिले दोस्त या रिस्तेदार
तो चेहरे पर पागलो जैसी हरकत बनाये रखो।